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लोग मुझे अपने होंठों से लगाए हुए हैं,

  लोग मुझे अपने होंठों से लगाए हुए हैं , मेरी शोहरत किसी के            नाम की मोहताज नहीं Attitude Shayari, log mujhe apane honthon  se lagae hue hain,  meree shoharat kisee ke  naam kee mohataaj nahin

कितने मसरूफ़ हैं हम जिंदगी

 अहमद मुश्ताक़ (Ahmad Mushtaq) एक प्रसिद्ध उर्दू शायर थे जो भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के लखनऊ में 1938 में पैदा हुए थे और 2015 में उनके निधन हुआ। वे उर्दू और हिंदी में कविताएँ और शेर लिखते थे और उनके काव्य में व्यक्तिगत और सामाजिक मुद्दे पर विचार किए जाते थे।

अहमद मुश्ताक़ की कविताएँ और शेर उनकी भावनाओं, समाजिक समस्याओं, प्रेम, और जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास करती हैं। 

वे उर्दू और हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए मशहूर हुए और उनकी कविताएँ आज भी उर्दू और हिंदी कविता प्रेमियों के बीच प्रसंसा प्राप्त कर रही हैं।अहमद मुश्ताक़ (Ahmad Mushtaq) एक जाने-माने उर्दू शायर थे।

 उन्होंने अपनी कविताओं और शेरों के माध्यम से उर्दू साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान किया। उनका काव्य गुलज़ारी-ए-अहमद के नाम से मशहूर है, और इसमें उनकी कविताएँ और शेर शामिल हैं।

अहमद मुश्ताक़ की कविताएँ और शेर अमन, मोहब्बत, और जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास करते हैं। उनके काव्य में उनकी कल्पना और भाषा का सुंदर उपयोग होता है, जिससे उनकी कविताएँ और शेर उपन्यासों के प्रशंसकों के बीच में पसंदीदा होते हैं।

अहमद मुश्ताक़ की कविताएँ और शेर उर्दू साहित्य के महत्वपूर्ण हिस्से में शामिल हैं, और उनके योगदान को समझने और आनंद उठाने के लिए उनकी कविताओं के संग्रह को पढ़ा जा सकता है।

कितने मसरूफ़ हैं हम जिंदगी

की कशमकश में,

 इबादत भी जल्दी में करते हैं

   फिर से गुनाह करने के लिए…..

https://shayariek.blogspot.com/2020/10/dard - shayari.html
dard - shayari



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