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लोग मुझे अपने होंठों से लगाए हुए हैं,

  लोग मुझे अपने होंठों से लगाए हुए हैं , मेरी शोहरत किसी के            नाम की मोहताज नहीं Attitude Shayari, log mujhe apane honthon  se lagae hue hain,  meree shoharat kisee ke  naam kee mohataaj nahin

खता हो गयी तो फिर सज़ा सुना दो

  शहाब जाफ़री एक बारिक़ उर्दू कवि और लेखक हैं। वे भारतीय साहित्य के क्षेत्र में मशहूर हैं और उन्होंने अपनी कविताओं और निबंधों के माध्यम से साहित्यिक जगत में अपनी पहचान बनाई है। उनका काव्य उर्दू भाषा में होता है और उन्होंने अपनी विचारधारा और विचारों को कविता के माध्यम से अभिव्यक्त किया है। कृपया अधिक विशेष जानकारी के लिए शहाब जाफ़री के कृतियों और साहित्यिक कार्य के बारे में संदर्भ खोजें या उनके साहित्यिक योगदान के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए उनके आधिकारिक जीवनी या लेखन को खोजें।   खता हो गयी तो फिर सज़ा सुना दो        दिल में इतना दर्द क्यूँ है वजह बता दो                 देर हो गयी याद करने में जरूर       लेकिन तुमको भुला देंगे        ये ख्याल मिटा दो....... sorry - shayari 

न तेरी शान कम होती

  जौन एलिया ( Jaun Elia) एक प्रमुख उर्दू शायर और कवि थे , जिन्होंने अपनी शायरी के लिए मशहूरी प्राप्त की थी। उनका जन्म 14 दिसंबर 1931 को भारत के राजस्थान राज्य के अम्बाला शहर में हुआ था , और उनका निधन 8 नवंबर 2002 को हुआ था। जौन एलिया की शायरी उनकी अद्वितीय शैली , उदास और अंधकारमय विचारधारा , और उच्च भाषा के लिए प्रसिद्ध है। वे अक्सर प्यार , दर्द , और जीवन के परिपेषणों पर अपनी शायरी में भावनाओं को व्यक्त करते थे। जौन एलिया के काव्य साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा है और उन्होंने उर्दू भाषा में अपनी माहिरी के लिए सराहनीय प्रशंसा प्राप्त की है। उनकी कविताओं के कई संग्रह उपलब्ध हैं , और उनका काव्य उर्दू साहित्य के अद्वितीय अंश के रूप में मान्य जाता है। जौन एलिया का काव्य आज भी उर्दू शायरी के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में मान्य जाता है और उनकी कविताएँ उर्दू भाषा के प्रशंसकों के बीच लोकप्रिय हैं। न तेरी शान कम होती                            न रुतबा ही घटा होता     जो गुस्से में कहा तुमने वही                             हँस के कहा होता....    sorry - shayari

पलकें खुली सुबह तो ये जाना हमने

  हबीब जालिब ( Habib Jalib) पाकिस्तान के मशहूर उर्दू कवि थे , जिन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से सामाजिक और सियासी समस्याओं पर विचार किए। वे 1928 में पैदा हुए और 1993 में इनकी मृत्यु हुई। हबीब जालिब की कविताएँ और गीत सामाजिक न्याय , आजादी , और इंसानियत के मुद्दों पर थीं। हबीब जालिब ( Habib Jalib) पाकिस्तान के प्रमुख उर्दू कवियों में से एक थे। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज के दुखद समस्याओं और राजनीतिक समस्याओं पर अपने दृष्टिकोण को व्यक्त किया। उन्होंने आजादी संग्राम के समय से लेकर और उसके बाद के कई दशकों तक कविताओं का रचना की। हबीब जालिब के कविताओं में आम लोगों की समस्याओं के साथ ही सरकारी असलियत और नेताओं की बेईमानी पर भी आलोचना की गई थी।हबीब जालिब ( Habib Jalib) पाकिस्तान के मशहूर उर्दू कवि और लेखक थे। उनका जन्म 24 مارچ 1928 को ह وا، और मौत 12 مارچ 1993 को हुई। हबीब जालिब ने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज , सिआसत और समाजवाद के मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए। उनकी कविताएँ आम जनता के दिलों में समस्याओं के साथ साथ आवाज उठाने का साहस दिखाती थीं। पलकें खुली सुबह तो ये

तुम्हारे ख्वाबों को गिरवी रखके

  साहिर लुधियानवी , जिनका जन्म सुरेंद्र कुमार शर्मा ( Surendra Kumar Sharma) के नाम से हुआ था , एक प्रमुख भारतीय गीतकार , गद्यकार , और संवादक थे। वह 8 मार्च 1921 को लुधियाना , पंजाब , भारत में पैदा हुए थे और 25 अक्टूबर 1980 को मुंबई में निधन हुआ। साहिर लुधियानवी को "उर्दू के गीतकार का शायर" कहा जाता है क्योंकि उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए अपने अद्वितीय गीतों के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। साहिर लुधियानवी के गीत किताबों में छपे हैंसाहिर लुधियानवी ( Sahir Ludhianvi) भारतीय कवि और गीतकार थे , जिन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के लिए कई प्रमुख गीत लिखे। साहिर लुधियानवी ने अपनी कविताओं और गीतों में सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं पर गहरा विचार किया और उन्होंने विशेष रूप से प्यार , इश्क , और आंसू के विषयों पर अपनी कला को प्रस्तुत किया। वे फिल्मों के लिए कई प्रमुख संगीतकारों के साथ काम करे , और उनके लिखे गीत आज भी लोकप्रिय हैं। कुछ प्रमुख फिल्मों में साहिर लुधियानवी के गीत शामिल हैं , जैसे कि "कबीरा" (कबूलीवाला) , " तुम आगए हो नो" (आराधना) , और "मेरी दु

घर से तो निकले थे हम

 " असरार-उल-हक़ मजाज़" एक प्रमुख उर्दू कविता है , जिसे मीर्ज़ा ग़ालिब ( Mirza Ghalib) ने लिखा था। यह कविता उर्दू साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है और ग़ालिब की कला का प्रतीक है। " असरार-उल-हक़ मजाज़" का अर्थ होता है "सच के राज़ और गुप्त संकेत"। इस कविता में ग़ालिब ने अपने जीवन , प्रेम , और दुखों के बारे में अपने भावनात्मक अनुभवों को व्यक्त किया है। यह कविता उनकी अद्वितीय भावनाओं और उर्दू भाषा के जादूमयी सौंदर्य को प्रकट करती है। मीर्ज़ा ग़ालिब के कविता साहित्य में अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं , और उन्होंने उर्दू कविता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। "असरार-उल-हक़ मजाज़" उनके उत्कृष्ट और सुंदर रचनाओं में से एक है , जो आज भी पठन्तरों और अनुवादों के माध्यम से पढ़ी और प्रेम की जाती है। असरार-उल-हक़ मजाज़" ( Asrar-ul-Haq Majaz) भारतीय उर्दू भाषा के कवि और शाइर थे जिन्होंने अपने काव्य के माध्यम से सामाजिक और साहित्यिक विचारों का अभिव्यक्ति किया। उनका जन्म 19 اکتوبر 1911 को आलीगढ़ , उत्तर प्रदेश , ब्रिटिश भारत में हुआ था , और

अब ढूढ़ रहे है, वो

  अब्दुल हमीद अदम ( Abdul Hamid Adam) एक पाकिस्तानी कवि और शाइर थे , जिन्होंने अपने कल्पना और शायरी के माध्यम से उर्दू भाषा के साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे 29 فروری 1910 को हुए और 5 اپریل 1981 ک ो وفات پا گ؏ے . अब्दुल हमीद अदम ने अपनी कविताओं में प्यार , इश्क , और व्यक्तिगत भावनाओं का सुंदर रूप से अभिव्यक्त किया और उन्होंने अपनी कला के माध्यम से समाजिक मुद्दों पर भी विचार किया। उनकी शायरी में अद्वितीय भाषा और बयां की शैली थी और उन्होंने अपने काव्य के माध्यम से उर्दू साहित्य में एक विशेष स्थान हासिल किया। अब्दुल हमीद अदम की कविताएँ और शायरी आज भी उर्दू भाषा के प्रशंसा पाती हैं और उन्हें उर्दू साहित्य के महत्वपूर्ण शाइरों में से एक माना जाता है।   अब ढूढ़ रहे है , वो                          मुझको भूल जाने के तरीके                       खफा हो कर उसकी मुश्किलें              आसन कर दी मैंंने...... Attitude - shayari