गुलजार (Gulzar)
एक प्रमुख भारतीय गीतकार, गीतकार, लेखक, फ़िल्म निर्माता
और फ़िल्म निर्देशक हैं, जिन्होंने भारतीय
सिनेमा और साहित्य के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने अपने
विविध योगदानों के लिए कई पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं। यहां उनका संक्षेपिक जीवन
परिचय है:
जन्म: गुलजार का
जन्म 18 अगस्त 1934 को जीतसर, ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान) में हुआ था।
कविता करियर:
गुलजार ने अपने करियर की शुरुआत उर्दू और हिंदी कविता से की, और उन्होंने अपनी कविताओं में अपने व्यक्तिगत
भावनाओं, समाजिक मुद्दों, और रोमांच को व्यक्त किया। उनका एक प्रमुख
कविता संग्रह है "राह-ए-मिलत"।
गीतकारी करियर:
गुलजार ने गीतकार के रूप में भी अपना मार्क छोडा, और उन्होंने कई हिट गीतों के बोल लिखे हैं। उन्होंने कई
बॉलीवुड फ़िल्मों के लिए गीतकारी की, जैसे कि "मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास है" (अमर प्रेम) और
"तुझसे नाराज़ नहीं जिंदगी" (मस्ताना)।
फ़िल्मी करियर:
गुलजार ने फ़िल्म निर्माण और निर्देशन में भी अपनी माहिरी दिखाई। उन्होंने कई
प्रमुख फ़िल्मों को डायरेक्ट किया, जैसे कि
"मेरा नाम जोकर" (1970), "मौसम" (1975), "मार्चियाँ"
(1976), और "अंगूर" (1982)।
पुरस्कार: गुलजार
को भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले हैं, जैसे कि बेस्ट लायरिकिस्ट अवॉर्ड, नेशनल अवार्ड, और अन्य साहित्यिक और सिनेमाग्राफी पुरस्कार।
गुलजार का योगदान
भारतीय साहित्य और सिनेमा के क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और उन्होंने अपनी श्रेष्ठ कविताएँ, गीतकारी, और फ़िल्मों के माध्यम से बहुत से लोगों के दिलों में जगह
बनाई है।
आग लगाना मेरी फितरत में नही है,
मेरी सादगी से लोग जलें
तो मेरा क्या कसूर....
attitude - shayari |
aag lagaana meree phitarat mein nahee hai, meree saadagee se log jalen to mera kya kasoor....
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