मीर तक़ी मीर (Mir Taqi Mir) भारतीय उर्दू कवि थे और उन्हें उर्दू शायरी के महान कवियों में से एक माना
जाता है। वे 18वीं सदी के अंत में और 19वीं सदी की शुरुआत में जन्मे और उनका जन्म स्थान दिल्ली में था।
मीर तक़ी मीर का जीवन बहुत ही रोमांचक और कविता से भरपूर था। उन्होंने अपने काव्य में जीवन के रंग-रूप और भावनाओं को बखूबी व्यक्त किया। उनकी कविताएँ आम लोगों के दिलों को छूने वाली थीं और वे आधुनिक उर्दू शायरी के प्रमुख प्रतिनिधित्व में हैं। मीर तक़ी मीर की जीवनी में कुछ मुख्य तथ्य हैं: शायरी की शुरुआत: मीर तक़ी मीर ने अपनी शायरी करियर की शुरुआत नवाब आसफ़ उद्दौला के दरबार में कियी थी, जो दिल्ली के उस समय के मशहूर शायरों के आस-पास हुआ करते थे। आर्थिक कठिनाइयाँ: मीर का जीवन आर्थिक कठिनाइयों से भरपूर रहा है। उन्होंने कई बार गरीबी और आर्थिक संकट का सामना किया और इसका प्रतिबिम्ब उनकी कविताओं में मिलता है। व्यक्तिगत जीवन: मीर तक़ी मीर का व्यक्तिगत जीवन भी दुखभरा रहा है। उनकी प्रेम कविताओं में अकेलेपन, प्यार, और दर्द के बारे में बड़े ही आदर्श ढंग से व्यक्त किया गया है। उर्दू शायरी में योगदान: मीर तक़ी मीर ने उर्दू शायरी के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान किया है और उनके काव्य का प्रभाव आज भी महसूस किया जा सकता है। मीर तक़ी मीर की कविताएँ उनके उद्देश्य और भावनाओं की गहरी छवि को पेश करती हैं, और उन्होंने उर्दू शायरी के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है।
"वक्त के साथ रिश्ते नये जोड़ते रहिये,
मगर दोस्ती पुरानी बनाये रखिए,
जमापूंजी है ये आपकी,
मुसीबत के वक्त संजीवनी साबित होगी "
dosti - shayari, |
"vakt ke saath rishte naye jodate rahiye,
magar dostee puraanee banaaye rakhie,
jamaapoonjee hai ye aapakee,
museebat ke vakt sanjeevanee saabit hogee "
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