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लोग मुझे अपने होंठों से लगाए हुए हैं,

  लोग मुझे अपने होंठों से लगाए हुए हैं , मेरी शोहरत किसी के            नाम की मोहताज नहीं Attitude Shayari, log mujhe apane honthon  se lagae hue hain,  meree shoharat kisee ke  naam kee mohataaj nahin

Humara Dil Savere Ka Sunhera Jaam Ho Jaye,

 

Humara Dil Savere Ka Sunhera Jaam Ho Jaye,

Chirago Ki Tarah Aankhein Jale Jab Shaam Ho Jaye,

 Kabhi To Aasman Se Chand Utre Jaam Ho Jaye,

Tumhare Naam Ki Ek Khoobsurat Sham Ho Jaye,

Ajab Halat The Yu Soda Ho Gaya Aakhir,

Mohabbat Ki Haveli Jis Tarah Nelaam Ho Jaye,

 

Humara Dil Savere Ka Sunhera Jaam Ho Jaye
LOVE Shayari

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ummeed se bharee ek ,Good morning

अल्लामा मुहम्मद इकबाल ( Allama Muhammad Iqbal) पाकिस्तान के महान शायर , फिलोसफर , और सियासी विचारक थे। वे उर्दू और परसी भाषाओं के महान कवि में से एक माने जाते हैं और उन्होंने अपनी शायरी के माध्यम से भारतीय और पाकिस्तानी युगों के लिए रोशनी की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान किया। यहां अल्लामा इकबाल का जीवन परिचय दिया गया है: जन्म और शिक्षा: अल्लामा इकबाल का जन्म 9 नवंबर 1877 को ब्रिटिश भारत के सियालकोट (अब पाकिस्तान का हिस्सा) में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लाहौर और कराची में पूरी की , और फिर वे इंग्लैंड के केम्ब्रिज और म्यूनिख के म्यूनिख विश्वविद्यालय से विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए गए। शायरी करियर: अल्लामा इकबाल ने उर्दू और परसी में अपनी उद्गारणात्मक शायरी की शुरुआत की , और उन्होंने अपने शेर और ग़ज़लों में तात्त्विकता , मानवीयता , और दार्शनिक विचारों को अद्वितीय तरीके से जोड़ा। उनकी कविताएँ मानवी अधिकार , आजादी , और समाजिक न्याय के मुद्दों पर आधारित थीं।   सियासी योगदान: अल्लामा इकबाल ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय भारतीय मुस्लिम समुदाय के लिए एक मान्यता प्राप्त की और

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गुलजार ( Gulzar) एक प्रमुख भारतीय गीतकार , गीतकार , लेखक , फ़िल्म निर्माता और फ़िल्म निर्देशक हैं , जिन्होंने भारतीय सिनेमा और साहित्य के क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने अपने विविध योगदानों के लिए कई पुरस्कार भी प्राप्त किए हैं। यहां उनका संक्षेपिक जीवन परिचय है: जन्म: गुलजार का जन्म 18 अगस्त 1934 को जीतसर , ब्रिटिश भारत (अब पाकिस्तान) में हुआ था। कविता करियर: गुलजार ने अपने करियर की शुरुआत उर्दू और हिंदी कविता से की , और उन्होंने अपनी कविताओं में अपने व्यक्तिगत भावनाओं , समाजिक मुद्दों , और रोमांच को व्यक्त किया। उनका एक प्रमुख कविता संग्रह है "राह-ए-मिलत"। गीतकारी करियर: गुलजार ने गीतकार के रूप में भी अपना मार्क छोडा , और उन्होंने कई हिट गीतों के बोल लिखे हैं। उन्होंने कई बॉलीवुड फ़िल्मों के लिए गीतकारी की , जैसे कि "मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास है" (अमर प्रेम) और "तुझसे नाराज़ नहीं जिंदगी" (मस्ताना)। फ़िल्मी करियर: गुलजार ने फ़िल्म निर्माण और निर्देशन में भी अपनी माहिरी दिखाई। उन्होंने कई प्रमुख फ़िल्मों को डायरेक्ट किया , जैसे कि

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